नागपुर। निरक्षर पर अक्षर के प्रति आदर भाव के चलते 70 वर्षीया श्रीमती पार्वतीबाई देशमुख द्वारा लगभग 60-70 कविताएं रची गई जिसे शाम टीवी चेनल द्वारा अपने टीवी कार्यक्रम में विशेष रूप से प्रसारित किया गया। श्रीमती देशमुख अपने गांव में सामान्य महिला की तरह जिंदगी गुजारते हुए अपनी रचनाधर्मिता के कारण पत्र-पत्रिकाओं एवं टीवी पर छा गई।
उल्लेखनीय है इसके पूर्व महाराष्ट्र के जलगांव की ही निरक्षर कवयित्री बहना बाई अपनी रचनाधर्मिता के कारण ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर पाने में सफल हुई थी।
हाल ही में नागपुर में आयोजित पुस्तक मेले में अपरिहार्य कारणों से श्री रस्किन बांड के उपस्थित न हो पाने पर श्रीमती पार्वती बाई देशमुख को आमंत्रित कर उनका सम्मान एवं सत्कार किया गया था। श्रीमती देशमुख की रचनाधर्मिता परिवार में भी झलकती दिखाई देती है।
उन्हीं का पुत्र श्री सुरेश देशमुख आज समाज का गौरव है तथा समाज के सम्मानजनक पद पर रहते हुए समाज सेवा में रत है एवं अखिल भारतीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण काम जैसे राजा भोज की मूर्ति स्थापना,केलेण्डर का प्रकाषन, समाज साहित्य की सीडी तैयार कर साहित्य प्रेमियों को उपलब्ध कराने में गहरी रूचि लेते है। पेशे से इंजीनियर श्री सुरेश देशमुख का साहित्य के प्रति रूझान का मुख्य कारण उनकी अपनी मां का साहित्य के प्रति गहरा अनुराग ही है।
श्री वल्लभ डोंगरे द्वारा प्रकाशित किताब पवारी परम्पराएं और प्रथाएं की 20 प्रति आरक्षित कराकर श्री देशमुख द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से समाज साहित्य के संरक्षण एवं संवर्द्धन में सहयोग ही किया गया है। इस तरह श्री देशमुख अपनी मां के नक्शेकदम पर चलकर समाज और समाज साहित्य की सेवा ही कर रहे हैं। श्रीमती पार्वती बाई देशमुख के कार्य से उनके घर-परिवार के सदस्यों के साथ-साथ सम्पूर्ण पवार समाज भी गौरवांवित हुआ है। एक निरक्षर का अक्षर कार्य सदैव दूसरों को प्रेरणा देता रहेगा।
श्रीमती पार्वती बाई देशमुख की तीन कविताएं
मला लागली भूक
धीर धरू कोठवरी/माझ्या मायेचं घर/पाण्याचा वाटेवरी/मला लागली भूक/जाऊ कोणच्या डोंगरी/पित्याच्या बगीच्यात/आल्या पाठा उंबरी.
सखी मी जोड़ते
आईच्या आडून/करे येण जाण/मोगन्या खालून/सखी मी जोड़ते/तुझ्यावर जीव/दिसणार कशी?
बाई दरून दिसते
बाई दरून दिसते/माहेरची गं पंढरी/तिथं पित्यानं गं माझ्या/आंबा लावला षंदरी/माझ्या माहेरचा गायी/माझे माय बाप आहे/विट्ठल रखुबाई.
श्रीमती पार्वती बाई देशमुख को मिले सम्मान व विभिन्न गतिविधियों में उनकी सक्रियता के साक्ष्य
पार्वती बाई देशमुख को मिले सम्मान-
उल्लेखनीय है इसके पूर्व महाराष्ट्र के जलगांव की ही निरक्षर कवयित्री बहना बाई अपनी रचनाधर्मिता के कारण ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर पाने में सफल हुई थी।
हाल ही में नागपुर में आयोजित पुस्तक मेले में अपरिहार्य कारणों से श्री रस्किन बांड के उपस्थित न हो पाने पर श्रीमती पार्वती बाई देशमुख को आमंत्रित कर उनका सम्मान एवं सत्कार किया गया था। श्रीमती देशमुख की रचनाधर्मिता परिवार में भी झलकती दिखाई देती है।
उन्हीं का पुत्र श्री सुरेश देशमुख आज समाज का गौरव है तथा समाज के सम्मानजनक पद पर रहते हुए समाज सेवा में रत है एवं अखिल भारतीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण काम जैसे राजा भोज की मूर्ति स्थापना,केलेण्डर का प्रकाषन, समाज साहित्य की सीडी तैयार कर साहित्य प्रेमियों को उपलब्ध कराने में गहरी रूचि लेते है। पेशे से इंजीनियर श्री सुरेश देशमुख का साहित्य के प्रति रूझान का मुख्य कारण उनकी अपनी मां का साहित्य के प्रति गहरा अनुराग ही है।
श्री वल्लभ डोंगरे द्वारा प्रकाशित किताब पवारी परम्पराएं और प्रथाएं की 20 प्रति आरक्षित कराकर श्री देशमुख द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से समाज साहित्य के संरक्षण एवं संवर्द्धन में सहयोग ही किया गया है। इस तरह श्री देशमुख अपनी मां के नक्शेकदम पर चलकर समाज और समाज साहित्य की सेवा ही कर रहे हैं। श्रीमती पार्वती बाई देशमुख के कार्य से उनके घर-परिवार के सदस्यों के साथ-साथ सम्पूर्ण पवार समाज भी गौरवांवित हुआ है। एक निरक्षर का अक्षर कार्य सदैव दूसरों को प्रेरणा देता रहेगा।
श्रीमती पार्वती बाई देशमुख की तीन कविताएं
मला लागली भूक
धीर धरू कोठवरी/माझ्या मायेचं घर/पाण्याचा वाटेवरी/मला लागली भूक/जाऊ कोणच्या डोंगरी/पित्याच्या बगीच्यात/आल्या पाठा उंबरी.
सखी मी जोड़ते
आईच्या आडून/करे येण जाण/मोगन्या खालून/सखी मी जोड़ते/तुझ्यावर जीव/दिसणार कशी?
बाई दरून दिसते
बाई दरून दिसते/माहेरची गं पंढरी/तिथं पित्यानं गं माझ्या/आंबा लावला षंदरी/माझ्या माहेरचा गायी/माझे माय बाप आहे/विट्ठल रखुबाई.
श्रीमती पार्वती बाई देशमुख को मिले सम्मान व विभिन्न गतिविधियों में उनकी सक्रियता के साक्ष्य
पार्वती बाई देशमुख को मिले सम्मान-
- मायके का नाम-गोपिका। उम्र-लगभग 71 वर्ष, गांव-बोरी
- 29 जन 2013 को सकाळ समाचार पत्र में कव्हर कहानी प्रकाषित।
- 20 जन 2013 को सकाळ द्वारा पुनः पूरक जानकारी प्रकाषित।
- 4 फर 2013 को बुक व लिटरेचर महोत्सव में नागनुर महानगर पालिका व व्ही जेएमटी जेजेपी कालेज द्वारा संयुक्त रूप से सम्मानित।
- 13 फर 2013 को टेलीविजन पर कार्यक्रम प्रसारित।
- 14 फर 2013 बुक व लिटरेचर महोत्सव में महापौर नागपुर द्वारा हार्दिक सत्कार।
- 9 मार्च 2013 को सकाळ द्वारा दशकपूर्ति अवसर पर 10 समाजसेवियों का सम्मान, जिसमें श्रीमती पार्वती बाई भी सम्मानित।
- 10 मार्च 2013 को सेवाव्रती सम्मान से सम्मानित।
- 29 दिस. 2013 को विदर्भ भूषण सम्मान से सम्मानित।
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